Kundeshwar Dham in Madhya Pradesh by Manjusha Radhe - Part 1

Kundeshwar Dham in Madhya Pradesh by Manjusha Radhe - Part 1

 कुंडेश्वरधाम



आस्था और धर्म का प्रतीक भारत,भारत की यही खासियत  विश्व विख्यात हैं। परमात्मा के प्रति प्रेम और निष्ठा इसी खासियत ने कई विदेशी नागरिकों भी भारत की ओर आकर्षित किया और कहते है जो मन से आया वो प्रमतमा के प्रति अपना सर्वस्व न्यौछावर कर यही का हो गया और वृंदावन इसका सबसे अच्छा उदाहरण हैं।


भारत एक ऐसा देश जहा एक साथ कई धर्म के लोग रहते है,और सबके अपने कुलदेवता के अनेकों अनेक मंदिर बने हुए है। संतो और ग्रंथो  अनुसार ३३ सहस्र कोटि देवी देवता है  और उनके उपर त्रिदेव_ ब्रह्मा विष्णु महेश।  ब्रह्मा सृष्टि करता, विष्णु पालनकर्ता महेश अर्थात शिव सृजन करता। शिव को देवो के देव महादेव भी कहा जाता है,वो अति भोले देव माने जाते है  इस संदर्भ में अनेकों कथा विख्यात है। 






शिव का ही रूप है शिवलिंग।  टीकमगढ़ के कुंडेश्वरदधाम के शिवलिंग के बारे में  शायद कम ही लोग जानते है पर बेहद प्राचीन ये लिंग जैसे साक्षात शिव  वैसे तो हर लिंग को शिव रूप। ही मानते है पर इसके बारे में  जानकर आप भी कह उठेंगे स्वयं भू है कुंडेश्वर धाम का शिवलिंग जितना प्राचीन उतना ही अद्भुत । 



सबसे ज्यादा आश्चर्य की बाद इस शिवलिंग का कोई छोर नहीं है खुदाई के दौरान ये साफ हो गया और उससे भी ज्यादा आश्चर्य इस शिवलिंग का हर साल चावल के दाने जितना बढ़ना,जो कि  लिंग की पुरानी और अभी की तस्वीरों में साफ साफ देख सकते है,टीकमगढ़ के निवासी जिन्होंने सालो से देखा और अनुभव किया(इसका एक प्रमाण मैं खुद भी हू )।

कुदेश्वरधाम शिवलिंग बाणासुर के वक्त का है एक कथा अनुसार।

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राधे मंजूषा

Manjusha Radhe

(Madhya Pradesh)

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